Chaiti Chhath 2023:
छठ पूजा लोक आस्था का महापर्वहै यह पूरे देश में प्रसिद्ध है। मुख्य रूप से यह बिहार और झारखण्ड का पर्व माना जाता है। छठ का महापर्व साल में 2 बार मनाया जाता है। 1 कार्तिक मास में और दूसरा चैत्र मास में। चैत्र मास में करने वाले छठ व्रत को चैती छठ कहा जाता है। हिंदी पंचांग के अनुसार, यह चैत्र मास के शुक्लपक्ष की षष्ठी तिथि को मनाया जाता है। यह चार दिनों का एक महान पर्व है जहां पहले दिन की शुरुआत नहाए खाए से होती है। इस तरह से आस्था का महापर्व छठ साल में दो बार मनाया जाता है। यह पर्व पूरे चार दिनों तक चलता है। इसमें महिलाएं लगभग 36 घंटे का लंबा व्रत करती हैं, इसलिए यह व्रत बहुत ही कठिन माना जाता है। चार दिनों तक लगातार पूजा अर्चना और व्रत करने के कारण इसे महापर्व कहा जाता है।
चैत्र छठ का महत्व
शास्त्रों के अनुसार छठी माता भगवान सूर्य की मानस बहन हैं। इसलिए छठ के व्रत में छठी मईया और सूर्यदेव की पूजा करने का विधान है। यह व्रत महिलाओं के द्वारा अपनी संतान की लंबी आयु की कामना के लिए किया जाता है। मान्यता के अनुसार छठी मईया संतान की रक्षा करती हैं। सूर्यदेव की उपासना से आरोग्यता प्राप्त होती है। छठ पूजा में भगवान सूर्य देव की पूजा का विधान है। संध्या अर्घ्य के दिन भगवान सूर्य को अस्त होते हुए अर्घ्य दिया जाता है। वहीं, अगले दिन उगते हुए सूर्य को अर्घ्य दिया जाता है
नहाय खाय
छठ का पर्व शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि 25 मार्च 2023 से आरंभ होगा। इस दिन नहाय-खाय किया जाएगा। इस व्रत में साफ सफाई का बहुत ध्यान रखा जाता है। नहाय खाय के दिन पूरे घर की सफाई की जाती है और स्नान करके व्रत का संकल्प लिया जाता है, चने की सब्जी, चावल साग खाया जाता है और अगले दिन खरना से व्रत आरंभ हो जाता है।
खरना
26 मार्च 2023 दिन रविवार को पंचमी तिथि को लोहंडा या खरना किया जाएगा। इस दिन महिलाएं पूरे दिन व्रत रखती हैं और शाम को मिट्टी के चूल्हे पर गुड़ वाली खीर का प्रसाद बनाकर सूर्य देव की पूजा करने के बाद यह प्रसाद खाया जाता है, इसके बाद छठ के समापन के बाद व्रत का पारणा किया जाता है।
अस्तगामी सूर्य को अर्घ्य
छठ पूजा ही जिसमें डूबते सूर्य की पूजा की जाती है। 27 मार्च को शाम के समय सूर्य को पहला अर्घ्य दिया जाएगा। इसे संध्या अर्घ्य भी कहा जाता है। इस दिन व्रती पानी के बीच में खड़े होकर सूर्य को अर्घ्य देती हैं।
उदयीमान सूर्य को अर्घ्य
28 मार्च को उगते सूर्य को अर्घ्य दिया जाएगा और इसी के साथ छठ महापर्व का समापन हो जाएगा। इसी दिन व्रती महिलाएं अपने व्रत का पारण करेंगी।