Jivitputrika Vrat 2024:
जितिया व्रत बिहार में काफी लोकप्रिय है. अपनी संतान की लंबी उम्र के माताएं इस व्रत को रखती है. यह व्रत बड़ा ही कठिन है, क्योंकि इसमें माताएं घंटे से भी ज्यादा निर्जला व्रत रखती हैं. भगवान से संतान के बेहतर भविष्य की कामना करती हैं. हर साल जितिया व्रत आश्विन महीने के शुक्ल पक्ष की अष्टमी तिथि को शुरू होता है. नवमी पर समापन होता है
क्यों रखा जाता है जितिया का व्रत ?
जितिया पर मां अपने बच्चों की लंबी उम्र की कामना लिए 24 घंटे से भी ज्यादा निर्जला रहती हैं. जो माता इस व्रत का पालन करती हैं, इस व्रत का फल उनके बच्चे को बुरे स्थिति में बचाता है. साथ ही इस व्रत के प्रभाव से संतान को सुखों की प्राप्ति होती है. नहाए-खाए के साथ इस व्रत की शुरुआत होती है.
कब रखा जाता है जितिया का व्रत ?
आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को जितिया व्रत मनाया जाता है. इस साल 24 सितंबर को नहाए खाए है और 25 सितंबर को जितिया का निर्जला व्रत रखा जाएगा. उसके बाद 26 सितंबर को माताएं इस व्रत का पारण करेंगी.
25 सितंबर को रखा जाएगा व्रत
पंडित गिरीश व्यास ने बताया कि अष्टमी तिथि 24 सितंबर 2024 को मंगलवार की रात 12 बजकर 38 मिनट पर शुरू होगी। अष्टमी तिथि 25 सितंबर 2024 को यानी बुधवार को दोपहर 12.10 तक रहेगी। उदया तिथि के आधार पर जितिया व्रत 25 सितंबर को ही करना शुभ रहेगा।
इस दिन वरियान योग रहेगा। लग्न मुहूर्त सुबह 10:10 से दोपहर 12:20 तक रहेगा और चौघड़िया मुहूर्त सुबह 10:48 से दोपहर 12:18 तक रहेगा। पूजा का शुभ मुहूर्त सुबह 10.41 बजे से दोपहर 12.12 मिनट तक है।
सूर्यदेव की होती है पूजा
जितिया व्रत के दिन सुबह दैनिक नित्यकर्म करने के बाद भगवान भास्कर को अर्घ्य दें और उनकी पूजा करें। इसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं। उसके ऊपर थाली में सूर्य भगवान की मूर्ति रखकर दूध और जल से उनका अभिषेक करें।
जितिया व्रत शुभ मुहूर्त (Jitiya Vrat 2024 Shubh Muhurat)
पंचांग के अनुसार, आश्विन माह की अष्टमी तिथि की शुरुआत 24 सितंबर 2024 को दोपहर 12 बजकर 38 मिनट पर हो रहा है। साथ ही अष्टमी तिथि का समापन 25 सितंबर को दोपहर 12 बजकर 10 मिनट पर होगा। ऐसे में उदया तिथि के अनुसार, जितिया व्रत बुधवार, 25 सितंबर को किया जाएगा
जितिया व्रत का महत्व (Jitiya Vrat significance)
धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत को करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है और संतान को दीर्घायु का आशीर्वाद प्राप्त होता है। पौराणिक कथा के अनुसार, जगत के पालनहार भगवान श्रीकृष्ण ने अभिमन्यु की पत्नी उत्तरा के गर्भ में पल रहे संतान को अपना सर्वस्व पुण्य फल देकर जीवित कर दिया था। इसी वजह से उत्तरा के पुत्र को जीवित्पुत्रिका कहा गया। तभी से हर साल आश्विन माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर जितिया व्रत किया जाता है
कब करें जितिया व्रत पारण (Jitiya Vrat 2024 Paran Vidhi)
जितिया व्रत (Jitiya Vrat Puja Vidhi) का पारण तीसरे दिन विधिपूर्वक किया जाता है। अष्टमी तिथि पर सुबह स्नान करने के बाद सूर्य देव को जल अर्पित करें। पारण के दौरान रागी की रोटी, तोरई, नोनी का साग और चावल का सेवन करने का रिवाज पुराने समय से चला आ रहा है।