NIRJALA एकादशी 2023| निर्जला एकादशी व्रत से पूरी होती है सभी मनोकामना, ऐसे करें पूजा तो मिलेगा अक्षय पुण्य

एकादशी क्या है?
एकादशी का अर्थ है हर महीने के हिंदू चंद्र कैलेंडर का ग्यारहवां दिन। दो चंद्र चक्र होते हैं, अर्थात् शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष और संबंधित चक्र के ग्यारहवें दिन को एकादशी के रूप में जाना जाता है। भगवान कृष्ण और भगवान विष्णु के भक्तों के लिए इसका बहुत महत्व है। एकादशी ग्यारह इंद्रियों का प्रतीक है, जो पांच इंद्रियों, पांच कर्म अंगों और एक मन का गठन करती है।

हिंदू धर्म में एकादशी व्रत का विशेष महत्व है. एकादशी का व्रत भगवान विष्णु की पूजा को समर्पित है. मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से सभी तीर्थों पर स्नान करने के बराबर पुण्य मिलता है. निर्जला एकादशी के व्रत को इन सबमें श्रेष्ठ और कठिन व्रत में एक माना गया है. निर्जला एकादशी का व्रत सभी मनोकामना को पूरा करने वाला माना गया है. शास्त्रों में निर्जला एकादशी व्रत का बहुत बड़ा महत्व बताया गया है. बता दें कि, पूरे साल में कुल 24 और अधिकमास होने पर 26 एकादशी पड़ती है.

इन सभी एकादशी को अलग-अलग नाम से जाना जाता है और सभी का अपना विशेष महत्व होता है. खास कर निर्जला एकादशी के दिन किए गए पूजन व दान-पुण्य से अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है. धर्म शास्त्रों में कहा गया है कि भगवान विष्णु का आशीर्वाद दिलाने वाली सभी एकादशी में निर्जला एकादशी का व्रत सबसे कठिन होता है. इस व्रत में पानी पीना वर्जित माना जाता है, इसलिए इसे निर्जला एकादशी कहा जाता है.

यह है पूजा की विधि

ज्योतिषीय एवं पंडित संतोष नागर ने बताया कि निर्जला एकादशी के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठ कर स्नान कर पीले कपड़े पहनने और ब्रह्म मुहूर्त में स्नान करना बेहद शुभ होता है. उसके बाद, पीले वस्त्र पहन कर भगवान विष्णु का ध्यान करें और पूजा करें. फिर ऊं नमो भगवते वासुदेवाय मंत्र का जाप जरूर करें. इसके बाद धूप, दीप, नैवेद्य आदि के साथ पूजा करें और श्रीहरि को पीले फूल और फलों को अर्पित करें.

अपनी मनोकामना भगवान से कहने के बाद श्री हरि विष्णु से किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमा मांगे. शाम को पुनः भगवान विष्णु की पूजा करें और रात को दीपदान करें. रात में भजन कीर्तन करते हुए जमीन पर विश्राम करें और फिर अगले दिन सुबह उठकर स्नान आदि करें. इसके बाद, ब्राह्मणों को भोजन कराएं और उन्हें अपने अनुसार भेट दें. इसके बाद निर्जला व्रत का पारण करें.

निर्जला एकादशी व्रत शुभ मुहूर्त और पारण
निर्जला एकादशी 31 मई, 2023, बुधवार ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि आरंभ: मंगलवार, 30 मई दोपहर 01.07 बजे से ज्येष्ठ शुक्ल पक्ष एकादशी तिथि समापन बुधवार, 31 मई दोपहर 01ः45 बजे पर, निर्जला एकादशी पारण मुहूर्तः गुरुवार एक जून सुबह 05.24 से 08.10 बजे तक है.

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