Ganga Saptami 2023| जानें कब है गंगा सप्तमी| गंगा सप्तमी क्यों मनाई जाती है,

Ganga Saptami 2023: वैशाख मास के शुक्लपक्ष पर मनाए जाने वाले गंगा सप्तमी पर्व का क्या महत्व है? इस साल यह कब पड़ेगा और क्या है इसकी पूजा विधि| 

हमारे देश भारत में गंगा नदी का बहुत प्रमुख स्थान है। वह जीवनदायिनी के रूप में भी जानी जाती है, जीवन को फिर से संवार देने वाली और पापों को मिटा देने वाली पापनाशिनी। गंगा सप्तमी हिंदू त्योहार है, जिसे गंगा नदी के पुनर्जन्म की याद में मनाया जाता है। इस दिन को जह्नु सप्तमी और गंगा पूजन के रूप में भी जाना जाता है।

गंगा सप्तमी का शुभ मुहूर्त 

प्रयागराज के जानेमाने ज्योतिषविद् एवं धर्म शास्त्र के ज्ञाता पं. देवेंद्र त्रिपाठी के अनुसार इस साल वैशाख मास के शुक्लपक्ष की सप्तमी तिथि 27 अप्रैल 2023 को सूर्योदय के बाद 18 दंड 48 पल है. इस दिन यह पावन तिथि प्रयागराज के समयाानुसार 01:05 बजे तक और देश की राजधानी दिल्ली के अनुसार दोपहर 01:38 बजे तक रहेगी. ऐसे में गंगा सप्तमी का महापर्व 27 अप्रैल 2023, गुरुवार को ही मनाया जाएगा. वहीं इस साल गंगा दशहरा का पावन पर्व 30 मई 2023 को मनाया जाएगा. पंचांग के अनुसार गंगा सप्तमी की मध्याह्न पूजा का शुभ मुहूर्त प्रात:काल 11 बजे से लेकर दोपहर 01:38 बजे तक रहेगा.

गंगा सप्तमी की कथा

हिंदू पौराणिक कथाएं देवीदेवताओं और अन्य बैकुंठ के पात्रों से जुड़ी रोमांचक कहानियों से भरी हुई हैं। गंगा नदी हिंदू पौराणिक कथाओं में भी प्रमुख स्थान रखती है। पद्म पुराण, ब्रह्म पुराण और नारद पुराण में गंगा का कई जगह उल्लेख है। ये पुराण कहानी और गंगा सप्तमी के महत्व के बारे में बात करते हैं, जिसे गंगा सप्तमी की कथा के रूप में भी जाना जाता है।

हिंदू धर्म के पवित्र ग्रंथों के अनुसार गंगा स्वर्ग से पृथ्वी पर आई थी। जब वह पृथ्वी पर आई, उस दिन को गंगा दशहरा के नाम से भी जाना जाता है। गंगा नदी पूरी ताकत से बह रही थी और धरती पर आते समय राह में आने वाली हर चीज को कुचल रही थी। गंगा का पानी ऋषि जह्नु के आश्रम में पहुंच गया। वे आश्रम की ओर बढ़ते गंगा के भयानक जल को देखकर आगबबूला हो गए। फिर उन्होंने गुस्से में नदी का पूरा पानी पी लिया।

बाद में, गंगा सप्तमी की कथा के मुताबिक संत बने राजा भागीरथ के अनुरोध पर ऋषि जह्नु ने गंगा को छोड़ा। राजा भागीरथ अपने पूर्वजों के उद्धार के लिए गंगा को पृथ्वी पर लाना चाहते थे। इस दिन को जह्नु सप्तमी के रूप में भी जाना जाता है, क्योंकि यह दिन वैशाख महीने के शुक्ल पक्ष सप्तमी को पड़ता है। ऋषि ने तब गंगा को अपनी पुत्री माना था। उन्होंने गंगा को फिर से नया जन्म दिया और इसलिए गंगा को एक और नाम जाह्नवी मिला

गंगा सप्तमी का दान

गंगा सप्तमी पर मां गंगा की पूजा का पुण्य फल पाने के लिए व्यक्ति को यदि संभव हो तो गंगा तट पर जाकर गंगा स्नान करने के बाद किसी जरूरतमंद व्यक्ति को अन्न, वस्त्र एवं धन आदि का यथासंभव दान करना चाहिए. मान्यता है कि दान से जुड़े इस उपाय को करने से व्यक्ति को पापों से मुक्ति और पुण्य की प्राप्ति होती है.

गंगा सप्तमी 2022 तिथि और मुहूर्त समय

इस वर्ष 2022 में, गंगा सप्तमी रविवार, 08 मई 2022 को पड़ रही है।

महीना: वैशाख (पूर्णिमांत और अमंता दोनों)

मुहूर्त का समय:

गंगा सप्तमी मध्याह्न मुहूर्त: 11:18 am to 01:55 pm

अवधि: 02 Hours 38 Mins

सप्तमी तिथि शुरू: 07 मई, 2022 दोपहर 02:56

बजे सप्तमी तिथि समाप्त: 08 मई, 2022 शाम 05:00 बजे

 

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