जानिए कब है बकरीद, चांद के हिसाब से ऐसे पता चलेगी तारीख

नमस्कार दोस्तों स्वागत है आप सभी को  हमारे इंडिया कैलेंडर में आज मैं  बताने जा रहा हूँ इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार इस साल 2022 में  बकरीद कब हैं

Bakra Eid 2022 :

अगले महीने बकरीद (Bakrid 2022 New Guideline) पर देश भर के निकाय क्षेत्रों के अधिकृत बूचड़खानों के अलावा कहीं भी कुर्बानी (Bakra Eid 2022 News Guidelines) नहीं हो सकेगी। बता दें कि इसे लेकर केंद्र सरकार ने सभी राज्यों से यह सुनिश्चित करने को निर्देश (Bakrid 2022 New Guideline) जारी किए है। केंद्र सरकार द्वारा सभी राज्यों को जारी किए गई निर्देश में कहा गया है कि सभी राज्य यह सुनिश्चित करें कि बकरीद पर लोग सार्वजनिक रूप से पशुओं की कुर्बानी न दें।

घरों और खुले में नहीं होगी कुर्बानी

बता दें कि अगले महीने बकरीद के लिए केंद्र सरकार की तरफ से नई गाइडलाइन (Bakrid New Guideline) जारी की गई है, जिसमें बकरों की कुर्बानी बूचड़खानों में ही की जा सकेगी। जिसके लिए नए निर्देश जारी किए गए है। ‘दैनिक भास्कर’ में छपी खबर के अनुसार केंद्र सरकार द्वारा दिए गए निर्देश के अनुसार कुर्बानी अब ना तो घरों में हो सकेगी और ना ही खुले स्थान पर, यानी कि सार्वजनिक रूप से बकरों की कुर्बानी अब नहीं दे सकते हैं। केंद्र सरकार ने कहा है कि पिछले काफी समय से देखने में आ रहा है कि पशुओं को वाहनों में ठूंस-ठूंस कर भरा जाता है। यह उनके साथ एक तरह की क्रूरता है, ऐसे मामलों में संबंधित लोगों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाए

अब नहीं होगी ऊंट की कुर्बानी

बता दें कि केंद्र सरकार के जीव जंतु कल्याण बोर्ड ने सभी राज्यों को लिखा है कि बकरीद पर ऊंट की कुर्बानी ना हो। ऊंट देश में भोजन के लिए प्रतिबंधित पशुओं की श्रेणी में शामिल है लेकिन कई जगह ऊंटों की कुर्बानी दी जाती है। इसके अलावा जिन राज्यों में गोवध अपराध है, वहां गाय व बछड़े की कुर्बानी नहीं दी जाए। साथ ही निर्देश में राज्यों से कहा गया है कि किसी भी गर्भवती पशुओं की कुर्बानी ना हो। जिन पशुओं का गर्भ 3 महीने से कम का है उनकी कुर्बानी भी वेटरनरी डॉक्टर की ओर से जारी फिटनेस सर्टिफिकेट के बिना नहीं दी जा सकेगी।

इस वर्ष कब मनाई जाएगी बकरीद

बकरीद मीठी ईद के ठीक दो महीने के बाद इस्‍लामिक कैलेंडर के सबसे आखिरी महीने की 10 तारीख को मनाई जाती है। इस बार बकरीद (Bakra Eid 2022) 10 या 11 जुलाई को मनाई जाएगी। बता दें कि पूरी दुनिया के मुसलमान इस महीने में पवित्र मक्का सऊदी अरब में एकत्रित होकर हज मनाते हैं। ईद उल अजहा भी इसी दिन मनाई जाती है। आइए जानते हैं मुसलमानों में क्‍यों और कैसे मनाते हैं बकरीद का त्‍योहार।

बकरीद क्या होता है?

ईद उल-अज़हा, मुसलमानों का दूसरा सबसे बड़ा त्यौहार है. बकरीद के दिन लोग नए कपड़े पहनकर ईदगाह व मस्जिद जाते हैं. नमाज की अदायगी के बाद जानवरों की कुर्बानी (बलि) देते हैं.

क्या आप जानते हैं, बक़रीद क्यों मनाई जाती है?

ईद-उल-जुहा सही मतलब है क़ुरबानी की ईद क्यों कि हज़रत इब्राहिम अपने पुत्र हज़रत इस्माइल को अल्लाह के हुक्म पर में क़ुर्बान कर रहे थे। अल्लाह उनके सही जज़्बे को देखते हुए उसके बेटे को जीवन-दान दे दिया था।

वह तारीख इस्लामी कैलेंडर के अनुसार धू-अल-हिज्जा महीने की 10 तारीख थी। उसी की याद में दुनिया के मुसलमान बक़रीद का त्यौहार मनाते हैं। अल्लाह के हुक्म पर इंसानों की नहीं जानवरों की कुर्बानी देने का इस्लामिक कानून शुरू हो गया।

ईद और बकरीद में क्या फर्क है?

रमजान खत्म होने के अगले दिन मनाया जाने वाली ईद को ईद उल-फ़ित्र कहते हैं और मीठा सेवई खाया जाता है. ईद के 70 दिन के बाद मनाए जाने वाले ईद को ईद उल-अज़हा कहते हैं और जानवरों की कुर्बानी यानी की बलि दी जाती है.

बकरीद के बारे में कुरान में क्या जिक्र है?

पूरे कुरान में “ईद उल-अज़हा” शब्द नहीं है। कुरान में नाम से वर्णित शुक्रवार की प्रार्थना (सलात) है। लेकिन पूरे कुरान में ईद या ईद की नमाज (सलात) के रूप में कोई एक शब्द नहीं है

बकरीद में मुसलमान क्या उपहार देते हैं?

बकरीद के दिन मुस्लिम परिवार जानवरों की कुर्बानी देने के बाद, जानवर के गोश्त के तीन हिस्से करते हैं. पहला हिस्सा अपने घर में रखते हैं दूसरा हिस्सा दोस्तों को उपहार स्वरूप देते हैं और तीसरा हिस्सा गरीबों के बीच बांट देते हैं.

बकरीद में जानवरों की कुर्बानी क्यों दी जाती है?

पैगंबर इब्राहिम अपने बेटे इस्माइल को अल्लाह के नाम पर बलिदान करने सपना आता है, उसे पूरा करने के लिए जब अपने बेटे के गर्दन में चाकू रगड़ना शुरू करते हैं तो अल्लाह का निर्देश आता है. ऐ इब्राहिम अल्लाह के इम्तिहान में पास हो गया.

अल्लाह ताला उसके बाद हिदायत देते हैं कि आप कुर्बानी के लिए जानवर को चुनें. इसीलिए मुसलमान बकरी, भेड़, गाय या ऊंट की कुर्बानी देते हैं.

बकरीद किस महीने में मनाई जाती है?

इस्लामिक कैलेंडर के बारहवें महीने जु-अल-हज्जा की दसवें, 11वीं और 12वीं तारीख को मनाई जाती है और यह त्यौहार 3 दिनों का होता है. इस्लामिक कैलेंडर चांद के अनुसार होता है.

यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष इस्लामिक दीवारों का तारीख बदलते रहता है

 

चांद के हिसाब से कब है

बकरीद इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार 12वें महीने जु अल-कादा महीना की 10 तारीख को बकरीद मनाई जाती है। जो ईद-उल-फितर के लगभग 70 दिनों के बाद होता है। बता दें कि ईद उल फितर के चांद को शाम में देखकर अगले दिन ईद-उल-फितर मनाते हैं। बकरीद में चांद 10 दिन पहले देखा जाता है क्योंकि इस्लामिक महीने में यह दसवीं तारीख को बकरीद होता है। चांद 1 तारीख को ही नजर आ जाता है।

जानिए क्या है बकरीद का सही नाम

रमजान के बाद मनाई जाने वाली मीठी ईद के लगभग 70 दिनों के बाद मनाई जाने वाली ईद को ईद-उल-जुहा यानि बकरीद कहते हैं। इंटरनेट पर लोग eid ul azha, eid qurbani और eid ul zuha ना जाने कितने अनेक शब्दों के जरिए ईद-उल-जुहा सर्च करते हैं। बता दें कि इस त्यौहार को अंग्रेजी में Eid al-Adha कहते हैं।

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